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Antima srivastava

Others

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Antima srivastava

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जिंदगी का सफर

जिंदगी का सफर

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यादों की एक धुंध ..!

फैली है दिल की जमीन पर!

मत चोट दो इस पर बातों के प्रहार से..!

ना कुरेदो इसे इतना!

कि याद एक 'जख्म' बनकर 'नासूर' बन जाये!

बड़ी मुश्किल से काबू पाया है .!

अपने दिल के जज्बातों पर.!

फिर से ना उधेड़ो उन बँधी गिरहों को.!

कि इस बार गिरूँ तो.!

संभलना मुश्किल हो जाये.!

यूँ ही कटने दो 'जिंदगी का सफर'.... !

कुछ उलझा सा कुछ सुलझा सा... !



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