हालात
हालात
हम अपनी मुश्किलों में इस कदर खो गये,
जहान आगे बढ़ गया हम वहीं रह गये।
जब होश जरा सा संभला तो पता ये चला,
एक खुशी के लिये हम क्या से क्या हो गये?
जी हुजूरी में हमारी जो रहते थे दिन रात,
जरा से हालात बिगड़ते ही चलते बने।
भर भर खिलाया पिलाया जिन्हें अपना समझकर,
हाल तक ना लिया कि इतने दिन कैसे हम जिये?
दोस्त कहते थे जिन्हें,जिनसे उम्मीद थी,
छोड़ साथ हमारा अपनी राह बदल ली।
फिर तकदीर का साथ हमको मिला,
जिससे करते रहे ताउम्र हम गिला।
हमारे भी दिन फिर बदलने लगे,
जी हुजूरी में फिर लोग जमने लगे।
फिर वही दोस्त भूरि-भूरि प्रशंसायें करने लगे,
पर हमारा भी दिल आखिर दिल ही तो था,
आज बदला मगर कल उसमें शामिल तो था।
आज में भीड़ें भले ही जमा हो रहीं,
पर कल जो गुजरा हमारा बड़ा मुश्किल तो था।
कैसे हम ये सोंचें कि जो लोग आज हैं?
वो हमारा साथ बुरे वक्त में भी देंगें।
वो सिर्फ तब तक साथ देंगे,
जब तक हालात अच्छे होंगें।
जरा से हालात फिर से बिगड़ते ही,
ना वो कल साथ थे,ना कल साथ होंगें।
