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Kajal Nayak

Others

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Kajal Nayak

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बाल गीत

बाल गीत

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गणित के सवालों सा उलझा हुआ मैं

व्यर्थ चिंतित होकर सारा दिन खोजता

रहता हूँ हल,

और तुम,

तुम सहज किसी बाल गीत की तरह

जिसे पढ़कर होती रही चिंताए दूर मेरी

जिसे देखने भर से आ जाती मेरे

अधरों पर मुस्कुराहट.....


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