-ख़्वाब-
-ख़्वाब-
नयनों से कभी होंठों से
झांक रहा है..
सुबह की अलकों में
उलझा उलझा सा..
वो ख़्वाब अभी तक
जाग रहा है..
नयनों से कभी होंठों से
झांक रहा है..
सुबह की अलकों में
उलझा उलझा सा..
वो ख़्वाब अभी तक
जाग रहा है..