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Swapan Priya Parwaaz

Romance

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Swapan Priya Parwaaz

Romance

-स्वप्न परी-

-स्वप्न परी-

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कल रात फिर

ख्वाबाें में आ...उसने अपना

नीला आँचल लहराया..

ताे इस बार मैंने...कसके उसका..

हाथ थाम लिया..

वाे घबराई...और बहुत देर तक

रूठी रही मुझसे

और मैं...मैं उसे

काेमल लफ्जाें के

आभूषण दिखा...दिखा कर

रात भर...रिझाता रहा...मनाता रहा

उसका श्रृंगार करता रहा..

सुबह..हाेते..हाेते..हुआ..

उसे भी...इश्क...मुझसे.. 

उसने हौले से मेरा हाथ चूमा

और डायरी के गुलाबी पन्नों पर

पांव पसारते हुए...

मेरी आँखों में...आँखें डालकर बोली

तुम...वही हो ना..?

मैंने पूछा, "कौन..?

वो बोली, "वही जो कल्पना में

चाँद बिठाता है जमीं पर

बातें करता है हवाओं से..

और पल में बुन लेता है

कविता के ताने बाने.. 

मैं मुस्कुराया.. तो वो झट से बोली

अच्छा बताओ..

क्या नाम रखा मेरा..? 

मैंने कहा, तुम.. तुम बिल्कुल

परी सी हो...

वो हँस कर बोली...परी...या स्वप्न परी..?

मैं मुस्कुरा दिया.. 



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