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Geeta Upadhyay

Others

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Geeta Upadhyay

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रिश्तो की पोटली

रिश्तो की पोटली

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202

वासुदेव कुटुंबकम की जगह

हम दो हमारे दो में परिवार समाने लगे

अब अपनों की वह प्यार वाली थपकी भुलाने लगे

व्हाट्सएप फेसबुक में सब दिल लगाने लगे

मोबाइल पर ही दिन बिताने लगे

वक्त की दुहाई देकर अपनों से दूर जाने लगे

खुदगर्ज बनकर चेहरों से नकाब उठाने लगे

अब हर मन की दीवारें लगने लगी है खोखली

संभाले भी नहीं संभलती है आजकल

रिश्तो की पोटली।



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