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Nalanda Satish

Tragedy

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Nalanda Satish

Tragedy

रंग हिन्ं

रंग हिन्ं

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जिम्मेदारी का निर्वहन करते करते पृथक हो गये अपने आप से 

जाने किस रंग मे रंगी है दुनिया हमे तो लगती रंगहिन है


ताज तो रख दिया सिरपर राजकुमारी का

ताज के नीचे नुकीले शुलो का भंडार मगर संगदील है


दूसरो की जरा जरा सी बातपर गलती निकाल ने वालो को

अपनी गलती नजर नही आना वाकई   तारिफ -ए- काबिल है 


अन्तर्द्वन्द ने छीन लिया मन का सारा सुकून 

औरो के सिर पर तलवार तानने वाले को सुना है उनको किया जा रहा जलिल है 


बातों की कितनी नजर अंदाज किया हमने तेरी शानों की खातिर

गुलों को खिलने को मिलती नहीं सरपरस्त जमीन की दलील है।


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