इंतज़ार
इंतज़ार
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आज भी इसी जगह इंतज़ार तेरा करता हूं,
न जाने क्यों हर मोड़ पर रुक रुक कर तुझे देखता हूं
गूंजते हैं आज भी तेरे मेरे ही नाम इस जगह
जहां कभी न रूठने के वादे हमने किए थे
रोक कर पूछ लिया था न जाने क्यों उस दिन
दोगे साथ गर खफा हो जाएं हम कभी
मान ही गए न जाने क्यों हर बात मेरी
भरोसा तो करते हम पर कभी?
