अपने-पराए
अपने-पराए
कौन हैं अपने कौन पराए,
कहाँ प्रेम में हैं सीमाएं,
कैसे कोई समझे जग में,
किससे सच्चा नेह निभाएं,
किससे बांटें दुःख अपना हम,
किसको सुख का साथी बोलें,
किसको दे दें व्यथा हमारी,
किसको सम्मुख खुलकर रो लें।
किसको कह दें साथ हमारा,
देना जब ना मिले किनारा,
जीत गए तो जहां साथ है,
हार में किसको गले लगा लें,
किसको दे दें व्यथा हमारी,
किसको सम्मुख खुलकर रो लें।
किसके सम्मुख दुनियादारी,
बंधन सारे तुच्छ लगें,
ना कोई दस्तूर हो जीवन,
जब भी बोलें दिल से बोलें,
किसको दे दें व्यथा हमारी,
किसको सम्मुख खुलकर रो लें।
किससे हम कह दें आ जाना,
जब भी सूना लगे ज़माना,
किसको कह दें मन की बातें,
किसके सम्मुख मन को खोलें,
किसको दे दें व्यथा हमारी,
किसको सम्मुख खुलकर रो लें।।
