अपने पराये
अपने पराये
मेरे देश के कुछ सूरज, जब पश्चिम में बस जाते हैं
मेरे इस सुन्दर देश में वो, फिर अंधियारा कर जाते हैं
कुछ समय वहाँ पर रह कर वो, जब खुद को अकेला पाते हैं
मेरे इस सुन्दर देश से वो, इक चाँद भी ले कर जाते हैं
ना सूरज है इस देश में अब, चाँद भी अब नज़र नहीं आता
ऐसा लगता है अब मुझको, अंधियारे से है मेरा नाता
उस देश में रहने वालों तुम, कुछ ऐसा काम नहीं करना
उस देश में रह कर तुम, हम को बदनाम नहीं करना
रोशन ही अगर करना है तो, इस देश को रोशन तुम कर दो
मेरी इस खाली झोली को, खुशियों से अब तुम भर दो
जब पास में होंगे सब अपने, आशा के दीप जलाऊंगा
हर रोज़ मेरी होगी होली, दीवाली रोज़ मनाऊंगा