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Mukesh Nirula

Tragedy

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Mukesh Nirula

Tragedy

दर्द

दर्द

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दर्द जब हद से भी ज़्यादा हो गया 

मेरा मरने का इरादा हो गया 


पहले तो मैं जी रहा था चैन से 

चैन जाने अब कहाँ था खो गया 


अपने ही जब हो गए थे बेवफ़ा 

मिलना गैरों से था ज्यादा हो गया 


मैं था हैरान इस चलन को देख कर 

अपनी महफ़िल से मैं रुख्सत हो गया 


झील के पानी पर थी काई जम गई 

जब हवा का रुख अजब सा हो गया 


अब वो पानी न रहा कुछ काम का 

एक दिन वो भी था कीचड़ हो गया 


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