आस
आस
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मिलने की आस रह गई बाकी
कहानी ख़ास रह गई बाकी
ज़ख्म का दर्द कम हुआ है अब
निशानी पास रह गई बाकी
सूख कर शज़र टूटने को है
हरी अब घास रह गई बाकी
फ़ूल मुरझा गए हैं गुलशन के
सिर्फ अब बास रह गई बाकी
मिलने का सुख नसीब में ही नहीं
अब तो कुछ साँस रह गई बाकी।