Mukesh Nirula
Drama
जीवन के सारे सुख-दुख को,
मैं तो तन्हा ही सहता हूँ।
ये शब्द गवाही दे देंगे,
इसलिये मौन ही रहता हूँ।
दस्तूर
आस
परवरदिगार
शहर
बस एक चुप सी ...
होली
शिक्षक
जीवन सफर
दर्द
शब्दों की गवा...
फिर से नहीं हो युवा शिकार, बनाओ कानून ऐसा सरकार पेपर लीक पर तुरंत हो वार, फिर से नहीं हो युवा शिकार, बनाओ कानून ऐसा सरकार पेपर लीक पर तुरंत हो वार,
जब बहन डोली में बैठकर विदा हो तो ये भीग जाती हैं। जब बहन डोली में बैठकर विदा हो तो ये भीग जाती हैं।
हर एक दरार में गिला ढूंढ़ते हैं तेरी बेरुखी का सिला ढूंढते हैं हर एक दरार में गिला ढूंढ़ते हैं तेरी बेरुखी का सिला ढूंढते हैं
किसको किसकी क्या पड़ी है, इंसानियत में ये कैसी जंग छिड़ी है, किसको किसकी क्या पड़ी है, इंसानियत में ये कैसी जंग छिड़ी है,
फिर जाने की बात आएगी तो वही पुराना बदला भी लेंगे। फिर जाने की बात आएगी तो वही पुराना बदला भी लेंगे।
रुकती तो नहीं हैं ज़िंदगी मगर उसे जीना भी नहीं कहते हैं। रुकती तो नहीं हैं ज़िंदगी मगर उसे जीना भी नहीं कहते हैं।
आओ सखी कुछ मन में गुनें, और किसी को कष्ट ना हो ऐसे शब्द चुनें ! आओ सखी कुछ मन में गुनें, और किसी को कष्ट ना हो ऐसे शब्द चुनें !
सोच समझ मत अपना देना, मत पाते हट जायेंगे काई से।। सोच समझ मत अपना देना, मत पाते हट जायेंगे काई से।।
जिसे तुम निभाते चले गए नाम-ए-इश्क था जिसे तुम निभाते चले गए नाम-ए-इश्क था
तू ही मेरो भाई लगे माने कन्हाई तू ही मेरो भाई लगे माने कन्हाई
पूछा जब मैंने उससे यूँ ही है देह व्यापार गंदा क्यों हाथ इसमें डाला था, पूछा जब मैंने उससे यूँ ही है देह व्यापार गंदा क्यों हाथ इसमें डाला था,
मेहनत करते हैं बेटे....... पर अव्वल आती है बेटियाँ, मेहनत करते हैं बेटे....... पर अव्वल आती है बेटियाँ,
घुँट-घुँट कर हर दर्द सहना पड़ता है। घुँट-घुँट कर हर दर्द सहना पड़ता है।
तुम्हें मैं कह नहीं पाऊं, मुझे कितना सताती है तुम्हें मैं कह नहीं पाऊं, मुझे कितना सताती है
जीवन क्या है, हमें क्या पता हमें क्या पता, हमें क्या पता जीवन क्या है, हमें क्या पता हमें क्या पता, हमें क्या पता
जख्म देने वाले दर्द देकर गए, हम दर्द सह कर भी मुस्कुराते रहे ।। जख्म देने वाले दर्द देकर गए, हम दर्द सह कर भी मुस्कुराते रहे ।।
मैंने पूछा अब ऐसा हुआ क्या खास है ना तुम्हें परवाह मेरी न कोई प्यास है, मैंने पूछा अब ऐसा हुआ क्या खास है ना तुम्हें परवाह मेरी न कोई प्यास है,
बे बुनियादी, रूढ़िवादी, कुप्रथा को मिटाकर ज्ञान का विज्ञान लाया हूँ, बे बुनियादी, रूढ़िवादी, कुप्रथा को मिटाकर ज्ञान का विज्ञान लाया हूँ,
आओ मिलकर पेच लड़ाये हवा में पतंग लहराये आओ मिलकर पेच लड़ाये हवा में पतंग लहराये
मैं हाथ फैलाए खड़ा हूं, मुझे सब कुछ देने की हद पार कर दो। मैं हाथ फैलाए खड़ा हूं, मुझे सब कुछ देने की हद पार कर दो।