Writing poems with deep meaning (Do Shabd)
रस्म जो भी है उस को तो, निभाना होगा वरना इल्ज़ाम लगाने को, ज़माना होगा। रस्म जो भी है उस को तो, निभाना होगा वरना इल्ज़ाम लगाने को, ज़माना होगा।
मिलने की आस रह गई बाकी कहानी ख़ास रह गई बाकी। मिलने की आस रह गई बाकी कहानी ख़ास रह गई बाकी।
किस्मत में मेरी था लिखा लोहा ही किस्मत में मेरी था लिखा लोहा ही
खुशी और गम का लेखा-जोखा, यह तो खुदा ही जाने है खुशी और गम का लेखा-जोखा, यह तो खुदा ही जाने है
हम तो तन्हा रहे थे, मगर उदास नहीं जिस से भी तन को ढका था, वो था लिबास नहीं ! हम तो तन्हा रहे थे, मगर उदास नहीं जिस से भी तन को ढका था, वो था लिबास नहीं !
मुँह पर दाढ़ी मूछें हैं, सर पर एक पगड़ी है जितने भी दिखे चेहरे, सब थे सरदार होली में। मुँह पर दाढ़ी मूछें हैं, सर पर एक पगड़ी है जितने भी दिखे चेहरे, सब थे सरदार हो...
न जाने कब यह मिल जाएं, अजब ही रूप है इन का पिता, माँ, बहन, बेटी, दोस्त या फिर शिक्षक न जाने कब यह मिल जाएं, अजब ही रूप है इन का पिता, माँ, बहन, बेटी, दोस्त या फि...
अपनी मंज़िल पर दिखता हूँ तन्हा मगर क्यों यही अब बनी मेरी पहचान है। अपनी मंज़िल पर दिखता हूँ तन्हा मगर क्यों यही अब बनी मेरी पहचान है।
मैं था हैरान इस चलन को देख कर अपनी महफ़िल से मैं रुख्सत हो गया मैं था हैरान इस चलन को देख कर अपनी महफ़िल से मैं रुख्सत हो गया
ये शब्द गवाही दे देंगे, इसलिये मौन ही रहता हूँ। ये शब्द गवाही दे देंगे, इसलिये मौन ही रहता हूँ।