इंतज़ार
इंतज़ार
यूं न तुम सुबह होने का इंतज़ार करो,
रात बाकी है, जी भर के मुझे प्यार करो,
यूं न तुम चांद के छिपने का इंतज़ार करो,
कुछ तो बाकी है, दिल खोल के इजहार करो,
यूं न तुम बीते हुए कल की बात करो,
ये लम्हा काफी है, इसपर विचार करो,
लब कह रहे है कुछ तुमसे गौर करो,
तन्हा छिप कर न तुम आहें भरो,
तपते इस जिस्म को अब न राख करो,
हद से गुजरो वक़्त को न बर्बाद करो,
नशीली आंखों से चाहे बार करो,
छोड़ो आधा न मेरा पूरा श्रृंगार करो,
यूं न तुम सुबह होने का इंतज़ार करो,
रात बाकी है, जी भर के मुझे प्यार करो।