यादें
यादें
घरों से गलियों तक
मुहल्ले से बाजार तक,
चौक से सड़कों तक,
एक एक कर हम ,
एक शहर से दूसरे शहर ,
आ जाते रहे ,
यहाँ रातें जागकर और,
दिन सोचकर बिताते रहे,
लेकिन कभी भी वापस,
नहीं जगा गया यह से ,
क्यू की तेरी यादें जो थी,
यहां पे।

