उस हँसी के पीछे भी बहुत कुछ ; छिपा रखा था जनाब।। उस हँसी के पीछे भी बहुत कुछ ; छिपा रखा था जनाब।।
फर्क नहीं परता अब जनाब हो गई है आदत तन्हाई की। फर्क नहीं परता अब जनाब हो गई है आदत तन्हाई की।
तुम्हें आखिरी सांस तक मेरी माँ, मेरी आँखें खोजती रहे । तुम्हें आखिरी सांस तक मेरी माँ, मेरी आँखें खोजती रहे ।
एक मन है मेरे मन के अन्दर , एक मैं भी हूँ ,कहीं खुद के अन्दर ! एक मन है मेरे मन के अन्दर , एक मैं भी हूँ ,कहीं खुद के अन्दर !
वह सूखा गुलाब उस वक़्त भी उन भीनी यादों से महक उठेगा... और किताब पढ़नेवाले की तरह किताबें भी मुस्कुरा... वह सूखा गुलाब उस वक़्त भी उन भीनी यादों से महक उठेगा... और किताब पढ़नेवाले की तरह...
इश्क़ के दरिया में जो डूबे, पार कहीं न पाओगे! इश्क़ के दरिया में जो डूबे, पार कहीं न पाओगे!