मेरा मन ....
मेरा मन ....
एक मन है मेरे मन के अन्दर ,
एक मैं भी हूँ ,कहीं खुद के अन्दर
कोई भी 'तुम' जिससे मिल नहीं सकता
एक ऐसा ' मैं ' है कहीं मेरे अन्दर ,
बाहर एक कोलाहाल सा ,अन्दर ...
एक शांत समुन्द्र तिरता है ,
मुझसे भी कोई मुझको पूछे
मेरा मन भी य़े करता है ..
सब कहते हैं वो पास हैं मेरे ,
पर फिर भी खला सा रहता है
तुम तो सब से अलग थे फिर भी
तुमसे भी गिला ये रहता है ..
मुझको मुझमे ढूंढ सको तो
आना मुझसे मिलने फिर ,
कोई आया नहीं है, कई रोज से फिर भी
ये दरवाजा खुला सा रहता है ...
एक मन है मेरे मन के अन्दर ,
एक मैं भी हूँ ,कहीं खुद के अन्दर
कोई भी 'तुम' जिससे मिल नहीं सकता
एक ऐसा ' मैं ' है कहीं मेरे अन्दर!
