फर्क
फर्क
फर्क नहीं परता अब जनाब
हो गई है आदत तन्हाई की
है सिर्फ अब एक ही ख्वाहिश
कि काश उस यादों को
लिख दूँ दुनिया के वास्ते
खुश होता हूँ कि
कि लोग पढकर आएंगे
नेक रास्ते ।।
फर्क नहीं परता अब जनाब
हो गई है आदत तन्हाई की
है सिर्फ अब एक ही ख्वाहिश
कि काश उस यादों को
लिख दूँ दुनिया के वास्ते
खुश होता हूँ कि
कि लोग पढकर आएंगे
नेक रास्ते ।।