सुशान्त की यादें
सुशान्त की यादें
उस हँसी के पीछे भी बहुत कुछ ;
छिपा रखा था जनाब।।
गर इक तलक देख लिया होता ,
झाँक कर उसके दिल में ,
तो जरूरत नहीं परती ;
उन फाँसी के फंदे की।।
उस हँसी के पीछे भी बहुत कुछ ;
छिपा रखा था जनाब।।
गर इक तलक देख लिया होता ,
झाँक कर उसके दिल में ,
तो जरूरत नहीं परती ;
उन फाँसी के फंदे की।।