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Diksha Bishen

Drama Tragedy

5.0  

Diksha Bishen

Drama Tragedy

अधूरी समझ

अधूरी समझ

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कहीं से भी

कुछ भी न पूरी हुई

अधूरी रही अधूरी रही।


मैं आशा की लड़ियाँ पिरोती रही

इक दीया सी भी

ज्योति न मुझको मिली।


मगर फिर भी

मन में ये दुविधा रही

थी मुझ में कमी या जमाने में थी,


जो मैंने न समझी

और अधूरी रही।।


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