STORYMIRROR

Diksha Bishen

Drama

1  

Diksha Bishen

Drama

मैं अभिलाषा इस रचना की

मैं अभिलाषा इस रचना की

1 min
938


अभिलाषा इस जीवन की

मैं आसमान की पंख बनूं।।

अर्पण हो जाऊं मालाओं में

ऐसे प्रभात की पुष्प बनूं।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama