मैं अभिलाषा इस रचना की
मैं अभिलाषा इस रचना की
अभिलाषा इस जीवन की
मैं आसमान की पंख बनूं।।
अर्पण हो जाऊं मालाओं में
ऐसे प्रभात की पुष्प बनूं।।
अभिलाषा इस जीवन की
मैं आसमान की पंख बनूं।।
अर्पण हो जाऊं मालाओं में
ऐसे प्रभात की पुष्प बनूं।।