श्रद्धांजलि-- कोरोना
श्रद्धांजलि-- कोरोना
कुछ बूढ़े थे, थे जवान भी
और कुछ थे नन्हे नन्हे से
मिल गये वो आसमानी तारों में
ज़ुदा हो गये जीवन के लम्हे से
ये उमर थी उनके जीने की
वो चल दिये कोरोना के काल में
कांपी है ये धरती सारी
देखो मानव खड़ा है किस हाल में
ये देह जब उन्होंने त्यागी होगी
तब हर मानव घबराया होगा
जब छीनी होंगी सांसे उनकी
कोरोना तूने खूब तड़पाया होगा
मिले आत्मा को शान्ति उनकी
और परम धाम ही मिले उनको
जो खो चुके हैं जीवन अपना
मेरा शत् शत् नमन उनको।