आना झील किनारे
आना झील किनारे
तू आना मैं भी आऊंगा
उस ठंडे शीतल झील किनारे
ठहरे हुए उस ताल पे तब
हां ! दिख जाएंगे अक्श हमारे
जुबां चुप होगी दोनों की
आंखों से निकलेंगे बोल सारे
सुध-बुध खोए फिर बैठेंगे
उस ठंडे शीतल झील किनारे
शफ़क़ उजली उजली सी
झिलमिल होंगे सब चांद तारे
लिए मुहब्बत चश्म में
फिर इक दूजे को हम निहारे
तू आना मैं भी आऊंगा
उस ठंडे शीतल झील किनारे