सूखी धरा
सूखी धरा
लियी है करवट मौसम ने
झुलसे हैं अब पावं देखो
भागे हैं पशु पक्षी सारे
उस घनी पीपल की छावं देखो
सूर्य देव बरसाये गर्मी
माँ गंगा भी सुखी जाये
मरु भूमि बनी है धरती
हे मानव तू जिस ओर जाये
ये सूखी धरा हरी हो जाती
जब मानव तू पेड़ लगाये
कर संकल्प लगा दे पेड़
आगे की पीढ़ी तेरे गुणगान गाये।