हाल दिल का अपने सुनाऊं कैसे
हाल दिल का अपने सुनाऊं कैसे
हाल दिल का अपने सुनाऊं कैसे
इस दिल से उसको भुलाऊं कैसे
जख्म जिस्मों के दिख ही जाते हैं
घाव रूह के दिखाऊं कैसे
हाल दिल का अपने सुनाऊं कैसे
स्याह रात भी रोशन थी कभी
ये बात उसको बताऊं कैसे
खामोशी समझती थी वो कभी
अब धड़कन दिल की उसे सुनाऊं कैसे
हाल दिल का अपने सुनाऊं कैसे
इस दिल से उसको भुलाऊं कैसे
हाल दिल का अपने सुनाऊं कैसे
सुबह से शाम, शाम से सुबह हो जाती थी कभी
वो अनगिनत अनकही बातें
सभी को बताऊं कैसे
उसकी यादों से खुद को मिटाओं कैसे
हाल दिल का अपने सुनाऊं कैसे
इस दिल से उसको भुलाऊं कैसे