क्या होता - ऋषभ कटियार
क्या होता - ऋषभ कटियार
क्या होता ? ग़र इश्क़ मैं जता देता
इक प्यासे दरिया को समन्दर से मिला देता।
क्या होता ? ग़र वो इश्क़ मेरा अपना लेता
रात के जुगनू को इक सितारा बना देता।
क्या होता ? ग़र लंबा पेड़ खुद को झुका देता
नफरत की इक डाली पर मोहब्बत बिठा देता।
क्या होता ? ग़र बहता पानी खुद को थाम लेता
फलते फूलते जीवन को पल भर में वार देता।
क्या होता ? ग़र अभिमन्यु चक्रव्यूह भेद देता
अकेले ही भीष्मपितामह के बदन को छेद देता।
क्या होता ? ग़र गरीब अमीर को झुठला देता।
फ़लक में बैठे चाँद को धूल में मिला देता।
क्या होता ? ग़र "ऋषभ" महबूब तुम्हारा मुस्करा देता
अपने होठों से मधुशाला पिला देता।