अवध:लखनऊ
अवध:लखनऊ
1 min
313
काश अपनी भी कोई कहानी होती।
तो शाम-ए-अवध सुहानी होती ।
शिकवा नहीं हमें इमाम बाड़ा से,
काश यहां भी कोई मोहब्बत की निशानी होती।
नवाबों की शान है अवध।
नवाबों की जान है अवध।
पल पल बदलता मकान है अवध।
और क्या कहें बस यूं समझ लो,
मेरी और तुम्हारी जिंद और जान है अवध।
अवध की बस यही कहानी है।
बहती हुई गोमती और उसका पानी है।
सांझ भी अवध की निराली है,
तभी तो इसकी दुनिया दीवानी है।
अवध का दिन सबसे खास होता है।
ऐसा दिन क्या किसी और के पास होता है?
अवध में ना कोई उदास होता है।
दूर होकर भी अवध दिल के पास होता है।।
