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रुस्वाईयां के आंगन में

रुस्वाईयां के आंगन में

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कैसे समझाऊँ इस दिल को 

बड़ा मुश्किल हो चला है सफर 

कोशिश है मान जाओ आप 

संवेदनाओं को जानकर


पल भर नहीं लगते 

अग्नि को प्रज्वलित होने में 

रुस्वाईयां के आंगन में, 

लगता है रो लूँ, ज़ी भर-भर के


कितना आसान है, आपके लिये 

सहजता से बड़ी बात कह देना

क्या कोई फर्क नहीं पड़ता 

मुझसे दूर हो लेने में


आपने कहा पहले 

तितलियों की जैसी अौकात बनाओ 

फिर कह दिया बहुत जल्द तुम्हें 

इस प्रचंडता का, वापसी उपहार दूँगा


और अब तो हद ही कर दी, ये कहकर 

तुम्हारी कसम तुम्हें जीवन का 

वो सबक पढ़ाऊँगा


समझाकर कहकर हर तरह से देख लिये 

कहीं कोई अनहोनी न हो जायें 

बच्ची नहीं हो तुम, जो न समझो 

जीवन के पाठ रूपी समग्र पाठशाला को


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