यह जहरीला पानी!
यह जहरीला पानी!
पानी! जीवन है जो।
निर्मल स्वच्छ जल!
कब बन गया
जहरीला पानी!
पता ही नहीं चला।
एहसास जब हुआ,
हो चुकी थी देर।
न जाने वो कब से,
गंदी नालियों से
बहता दूषित पानी,
पवित्र नदियों के
निर्मल जल को
बना गया
जहरीला पानी!
थोड़ा-सा सुख
अपना, रुला गया।
लाखों दुआएँ
माँगते हाथों में!
आईना दिखाता हमें,
बदनुमा दाग़-सा,
यह जहरीला पानी!
कोटि-कोटि आँखों में,
अभिशाप-सा,
असंख्य रोगों को
पनाह देता।
अभिशप्त-सा
यह जहरीला पानी!
प्यास बुझाने को
आतुर, मगर ख़ुद
बने जहर से
मायूस होकर
सुलगता पानी!
हाँ, यह जहरीला पानी!
दिलों में आग जला,
टकटकी लगा!
पूछता, विषरहित
कर पाओगे मुझे--?
अपनी आँखों में,
फ़िर से मुझे
ज़िंदा कर पाओगे--?
रो-रोकर पूछता,
यह ज़हरीला पानी!