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Pratima Devi

Tragedy

4.5  

Pratima Devi

Tragedy

माँ की बेबसी

माँ की बेबसी

2 mins
55


एक माँ,

घर छोड़कर,

जाते हुए बेटे

से बोली-"जा ----

मगर याद करना

वो पल ----------

जो मेरी बांहों में

तूने बिताये।

जा-----------

मगर भूल जाना

उन लम्हों को

जो-----------

रोकर मैंने गँवाये। "


बेटा माँ

की बात सुन

हड़बड़ाया----

ज़रा-सा ठहर---

देख, माँ को---

सकपकाया।


बोला माँ से---

अब तक तूने--

कहा कुछ नहीं--

फिर आज---

ये सब-------

क्यों-------?


माँ मुस्कराकर बोली--

सोचा था------

शायद-------

तुझे मेरा -----

रातों का जागना-

सुबह का जगाना-

याद हो।

वो मीठी लोरी---

सुनाना------

याद हो ।


माँ तड़पकर --

अश्क बहा बोली--

शायद तुझे---

मेरा गीले में --

सोकर----

तुझे सूखे में ----

सुलाना-------

याद हो।

तुझे मीठी ---

नींदें देना----

अपनी ---

नींदें गँवाना----

याद हो।


बेटा तड़प----

उठा---------

लड़खड़ाया।

गिर माँ के----

चरणों में-------

गिड़गिड़ाया।

माँ माफ़ कर----

अपने इस-------

नालायक बेटे को।

जो----------

तेरे प्यार को----

भूल गया।

ख़ुद हँसा ----

और तुझे-----

रुलाया।

   


वो चिल्ला-

चिल्लाकर-----

फूट-फूट ------

रोया।

दोनों हाथ ----

जमीन पर----

पटक-पटक-----

मुश्किल में-------

खोया।


क्यों मैंने-----

तुझे गम-----

दिये-------?

अपनी ख़ुशी---

की खातिर तुझे---

हँसते जख़्म----

दिये------।

                   


इन हाथों---

से तुझ पर---

वार किया----

तूने समझे ----

हाथ अपने---

और ------

मैंने इन्हें ही -----

काट-------

दिया ।


        



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