माँ की बेबसी
माँ की बेबसी
एक माँ,
घर छोड़कर,
जाते हुए बेटे
से बोली-"जा ----
मगर याद करना
वो पल ----------
जो मेरी बांहों में
तूने बिताये।
जा-----------
मगर भूल जाना
उन लम्हों को
जो-----------
रोकर मैंने गँवाये। "
बेटा माँ
की बात सुन
हड़बड़ाया----
ज़रा-सा ठहर---
देख, माँ को---
सकपकाया।
बोला माँ से---
अब तक तूने--
कहा कुछ नहीं--
फिर आज---
ये सब-------
क्यों-------?
माँ मुस्कराकर बोली--
सोचा था------
शायद-------
तुझे मेरा -----
रातों का जागना-
सुबह का जगाना-
याद हो।
वो मीठी लोरी---
सुनाना------
याद हो ।
माँ तड़पकर --
अश्क बहा बोली--
शायद तुझे---
मेरा गीले में --
सोकर----
तुझे सूखे में ----
सुलाना-------
याद हो।
तुझे मीठी ---
नींदें देना----
अपनी ---
नींदें गँवाना----
याद हो।
बेटा तड़प----
उठा---------
लड़खड़ाया।
गिर माँ के----
चरणों में-------
गिड़गिड़ाया।
माँ माफ़ कर----
अपने इस-------
नालायक बेटे को।
जो----------
तेरे प्यार को----
भूल गया।
ख़ुद हँसा ----
और तुझे-----
रुलाया।
वो चिल्ला-
चिल्लाकर-----
फूट-फूट ------
रोया।
दोनों हाथ ----
जमीन पर----
पटक-पटक-----
मुश्किल में-------
खोया।
क्यों मैंने-----
तुझे गम-----
दिये-------?
अपनी ख़ुशी---
की खातिर तुझे---
हँसते जख़्म----
दिये------।
इन हाथों---
से तुझ पर---
वार किया----
तूने समझे ----
हाथ अपने---
और ------
मैंने इन्हें ही -----
काट-------
दिया ।
