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Sudhir Srivastava

Abstract Tragedy

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Sudhir Srivastava

Abstract Tragedy

ये कैसी चूक राम जी

ये कैसी चूक राम जी

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राम ने मर्यादा की भी मर्यादा का

कदम कदम पर सम्मान किया,

क्षत्रिय धर्म निभाया,

पुत्र, भाई, सखा, राजा ही नहीं

उद्धारक होने का हर फर्ज निभाया

असुरों, राक्षसों का नाश किया

अहिल्या शबरी का उद्धार किया

बहुतों को भव से पार किया।

पितृ आज्ञा से वन को गये,

राम, राम से मर्यादा पुरुषोत्तम हो गये

सारे संसार में पूज्य हो गये

विष्णु अवतारी कण कण में बस गये।

हर फर्ज निभा मिसाल बना गये

पर पति धर्म से मुँह मोड़ गये

एक अनर्गल प्रलाप का शिकार हो गये।

प्रजा की खुशी के लिए

राजा का फर्ज तो निभा गये,

पर सीता को भी न्याय देते

राजा थे तो सीता को भी

सफाई का एक मौका देते,

राजा का धर्म भी तो यही कहता है।

परंतु राजा बनकर फरमान सुना गये

राज धर्म का पालन करने की

बात क्या और क्यों करें,

पति का फर्ज निभाने से भी चूक गये

निर्दोष सीता के साथ अन्याय कर गये।

अपनी पत्नी का त्याग कर दिये

सात फेरों का वचन तोड़ गये,

एक निर्दोष नारी को

वन भेजने की सजा देकर

राजा रामजी मर्यादा की

भला ये कैसी नींव रख गये?

शक महरानी सीता पर था तो

तो उन्हें भी अपनी बात कहने का

एक अवसर तो देते,

फिर निर्णय कर सजा सुनाते

बिना दोष सिद्ध हुए

महरानी सीता ही नहीं

पत्नी सीता को भी

आखिर क्यों सजा दे गये?

राजा होकर न्याय करने से ही नहीं

पति धर्म से भी राम जी

आखिर कैसे चूक गये?



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