आचरण
आचरण
मकान का अवांछित
छज्जा, रैम्प बढ़ाते
नालियों पर अतिक्रमण
करें हम,,,,
सड़कें चौड़ी नही
फिर शिकायत
करते हम,,
बिजली ठीक आए
इसके लिए आवाज़
नही उठाते हम,,,
बिजली का बिल
कम आए, जुगत
लगाते हम,,,,
चालान से बचने
बदले में रिश्वत
देते हम,,,,
नियम पालन करें
ऐसा नही ,सोचते
हम,,,
अपने घर के आगे
स्पीड ब्रेकर खड़ा
करने को तत्पर
हम,,,,
अपनी जिम्मेदारियों
से भागते हम,,,
दूसरे ऐसा ना करें
ऐसा सोचते हम,,
मनचाहा ट्रांसफर
कराने के नाम पर
सबसे आगे हम,,,
प्रमोशन मिले पहले
इस की जुगत
लगाते हम,,,,
छल व प्रपंच
से बाज नहीं
आते हम,,,,
दूसरे के काम को
अपना बताते
देर नहीं करते
हम,,,,
सरकार भी अपनी
मतलब से चुनते
हम,,,,
इसके बाद नेताओं
को कोसते, थकते
नही हम,,,
जिम्मेदारियों से
भागे हम ,,,
वफादार कहलाने
का नाटक करते
हम,,
आवाज उठानी
थी ,चुप रहते
हम,,,
उसका अंजाम भी
भुगतते हम,,
देश अमेरिका
जैसा चाहिए पर
आचरण उनके जैसा
करते नहीं
हम,,,
कूड़ा फैलाते हम
नगर पालिका काम
नही करती ,ऐसा
कहते हम,,,
सरकारी संस्थाओं
में नौकरी करना
चाहते हम,,,
प्राइवेट संस्थान जैसा
वर्क कल्चर
नहीं चाहते
हम,,,
शहरों में रहना
चाहते हम,,
गांव को शहर
जैसा बनाते नहीं
हम,,,
भाई से भाई
बात नहीं करता
दुनिया से उम्मीद
करें हम,,,
दुर्योधन सा काम
करें हम,,
कृष्ण सा सम्मान
की आशा करें
हम,,,
तिल का ताड़
ताड़ का पहाड़
बनाते हम,,,
संस्कृति का गुणगान
बखान करें हम,,,
बस उस पर चलने से
इंकार करें हम,,,
नकारात्मक को सकारात्मक
बुराई को अच्छाई
अकर्मठ से कर्मठ
अच्छे से बहुत अच्छे
क्यों नही बनते
हम,,,,