ज़ख़्म दिल के --
ज़ख़्म दिल के --
यूँ तो ज़ख़्म दिल के, रुलाते हैं उम्रभर।
सीने में दर्द का सैलाब, लाते हैं उम्रभर।
आँसू भी यूँही दामन, भिगाते हैं उम्रभर।
कितना दिलों को ये, तड़पाते हैं उम्रभर।
फ़िर भी दर्द-ए-ग़म, मिलाते हैं उम्रभर।
अपनों को भी अपना, बनाते हैं उम्रभर।
आँसुओं में भी फूल, खिलाते हैं उम्रभर।
कितना दिलों को ये, मनाते हैं उम्र भर।
यूँ ही जीने की राह, दिखाते हैं उम्र भर।
रोते हुओं को भी, ये हँसाते हैं उम्र भर।
ज़िंदगी ख़्वाबों-सी, सजाते हैं उम्र भर।
कितना दिलों को ये, जीताते हैं उम्र भर।
By Pratima
