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Pratima Devi

Tragedy

4.8  

Pratima Devi

Tragedy

कुछ ख़्वाब झुके से हैं

कुछ ख़्वाब झुके से हैं

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किसने कहा,

किससे कहा

क्यों कहा?

जो कहा!

दर्द अपलक देखता रहा उसे।

पर वो !

बेदर्द-सा टुकड़ा इस दिल का!

सारे आँसु पी गया।

राहें ताकती रहीं ,

इंतज़ार चलता रहा।

बेसबब लब हिले।

कुछ टूटा-सा सामान ,

इस दिल को,

अब भी आवाज़ दे रहा है।

लौट चल!

वक़्त अभी थोड़ा बचा है।

पर कदम उसके!

कुछ रुके से हैं।

सियाही आँखों में,

कुछ ख़्वाब झुके से हैं।



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