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Pratima Devi

Tragedy Inspirational

4.5  

Pratima Devi

Tragedy Inspirational

क़तरा-ए-अश्क

क़तरा-ए-अश्क

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जो औरों के लिए--

आँसू बहायें, वो कम हैं।

हर अश्क का सबब,

अपनों का गम है।

कहती है दुनिया,

न आँसू बहा, हम हैं!

पर मुफ़लिसी में साथ

हों, कहाँ सब में दम है।

हरा दे कोई,

कहाँ ग़ैरों में दमख़म है।

वक़्त-बेवक़्त हारता,

जो अपनों का भ्रम है।

आशियाँ, उनका देख;

नहीं खिला जहाँ कुसुम है।

फिर अफ़सोस क्यूँ ,

जो नहीं तब्बसुम है।

बिखर रहें यहाँ सब,

वक़्त! जो बेरहम है।

मुस्कराहटें लौटायें,

जिन्हें ज़रूरत-ए-मरहम है।



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