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Bhawna Kukreti Pandey

Tragedy

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Bhawna Kukreti Pandey

Tragedy

रंग होली का

रंग होली का

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दिल्ली नहीं दिल जल रहा है 

ये धुआं 'हर दिल' से निकल रहा है।

फ़ितूर -ए-सियासत,

कुछ न बचेगा किसी के लिये,

यही सोच के हर दिल घबराया है।


ये देश

मेरा-तेरा नही हमारा है,

इसे अशफाक-बिस्मिल ने संवारा है।

बुजुर्गों,

जवानो, ख्वातीनो, नौनिहालों उठो, 

इस जमीं ने तड़प कर तुम्हे पुकारा है। 


ये देश

मेरा-तेरा नहीं हमारा है, 

इसे अशफाक-बिस्मिल ने संवारा है।


ये अजाने,

ये घण्टे- घड़ियालों से गूंजती फ़िजाएं,

चंद अहमको के बहकावे में क्यूँ,

सुनो सुबह का सूरज हर घर मे

फिर उम्मीद से निहारा है।


ये देश

मेरा-तेरा नही हमारा है, 

इसे अशफाक-बिस्मिल ने संवारा है।


चलो

अब सुकून फैलाये, 

बिलखते घरों के आँसू पोछ आयें,

ये वक्त भी तुम्हारा है,

ये देश भी तुम्हारा है ।


ये देश

मेरा-तेरा नहीं हमारा है, 

इसे अशफाक-बिस्मिल ने संवारा है।


बुझा दो नफरतें 

जो इन जुनूनियों ने लगायी है,

हर मोहल्ला , हर चौराहा

अब भी गंगा जमुना का किनारा है।


फिर से रंग भर दो

इस होली पर मुहब्बत का,

अबीर गुलाल का खुसुसी रंग

यहां हर तबस्सुम को प्यारा है।


ये देश 

तेरा मेरा नहीं हमारा है,

इसे अशफ़ाक़-बिस्मिल ने संवारा है।


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