कोई प्यार को तरसे
कोई प्यार को तरसे
कोई प्यार को तरसे तो कोई दीदार को तरसे
नहींं खुश यहाँ कोई सब अहसास को तरसे
जहाँ में स्वार्थ है इतना के हर कोई यार को तरसे
मुमकिन नहींं सभी को सभी का प्यार मिल पाना
कोई प्यार करके तरसे तो कोई प्यार को तरसे।
जब स्वयं कोई , स्वयं को स्वयं से बाँट लेता है
वो अपनी ही खुशियों को स्वयं ही डाँट देता है
बिरले हैं उनको मिल पाता, जहां भर का प्यार
जो अपनी खुशियों को भी गैरों पे बाँट देता है
खुद गलत होकर भी जो गैरों को डांट देता है
एक मजबूत टहनी को सदा को काट देता है
मुमकिन नहींं सभी को सभी का प्यार मिल पाना
कोई प्यार करके तरसे तो कोई प्यार को तरसे।
कितना भी हो जाओ दौलत से तुम आबाद
दौलत की भरमार से सच्चा यार नहींं मिलता
कोई प्यार नहींं करता किसी को प्यार नहीं मिलता
कहीं यार नहीं मिलता कहीं दिलदार नहीं मिलता
मुमकिन नहींं सभी को सभी का प्यार मिल पाना
कोई प्यार करके तरसे तो कोई प्यार को तरसे।
गर कोई किसी को सच्चे दिल से प्यार करता है
वो मगरूर हैं इतने, सच्चा दिलदार नहींं दिखता
गर मिल जाए बेपनाह मोहब्बत इसके बाद भी
वो सितमगर केवल सितम की बरसात करता है
तो कोई यार को तरसे तो कोई दीदार को तरसे
जहाँ में स्वार्थ है इतना के हर कोई प्यार को तरसे।