सर्दियों की बारिश
सर्दियों की बारिश
एक तो पहले से ही कड़ाके की ठंड ढा रही थी सितम,
ऊपर से ये बरसात का कहर,मानों निकल रहा हो दम,
सर्दी से कांपने को हो जाते विवश ऐसी चले शीतलहर,
मन करे काम- काज छोड़ रजाई में घुसे रहें चारों पहर,
कोहरे की चादर ओढ़ सर्दियों की सुबह करती स्वागत,
छट जाता जब कोहरा जो मिले धूप लगती जैसे जन्नत,
किंतु जब भीनी-भीनी धूप की जगह दिख जाए बादल,
तो ठंड से थोड़ी निजात पाने की आस हो जाती घायल,
सूर्यदेव भी चेहरा दिखाए बिना ही बादलों में छिप जाते,
बीच-बीच में बादलों से झांँक कर मानो मुंँह हमें चिढ़ाते,
पानी देती करंट का एहसास ज़रा छुओ निकलती जान,
ऐसा लगता मानो सर्दियांँ भी ले रही हैं हमारा इम्तिहान,
पर सर्दी, खांसी, ज़ुकाम का भी तोहफ़ा लाए ये बरसात,
ठंडी हवा का एक भी झोंका तन को करती बड़ा आघात,
ऐसे में एक प्याली गरमा गरम चाय की किसे न हो आस,
साथ में पकड़ों की प्लेट मिल जाए दिन बन जाए खास,
सर्दियों की बारिश में कम हो जाता सड़कों का कोलाहल,
जहांँ देखो जलते अलाव के आसपास बस होती हलचल,
बारिश की एक एक बूंद जब सर्दियों में धरती को छूती है,
पल-पल घटता तापमान तन को बर्फ समान जमा देती है,
सर्दियों की बरसात वैसे तो हमें लगती है बड़ी मनोहारी,
किंतु बुजुर्गों के लिए ये पल हो जाता बहुत ही कष्टकारी,
इस बे-मौसम बारिश में बदल जाती सर्दियों की फितरत,
ऐसे में सेहत का खास ख्याल रखने की होती है ज़रूरत,
सर्दियों की ये बारिश किसानों को भी कर देती है बेहाल,
बढ़ती नमी बढ़ाकर मुश्किलें फसल का करती बुरा हाल,
खेतों की नमी समाप्त भी नहीं होती कि बारिश हो जाती,
ऐसे में सर्द हवाएं किसानों की चिंता को और बढ़ा जाती,
बस मन में रहती सबके एक आस कब ख़त्म हो बारिश,
और सूर्य देव दर्शन देकर बस पूरी करें धूप की ख्वाहिश,
हे! ईश्वर ये कड़ाके की ठंड पहले से ही कर रही परेशान,
यूँ सर्दियों में बारिश करवा कर क्यों लेते हो हमारी जान।