तुम खुद ही देख लो
तुम खुद ही देख लो
तुम खुद ही देख लो, इंसानियत बदहाल,
धर्म,कर्म,परहित का कर दिया बुरा हाल,
दुष्ट,राक्षस, दानव,मानव करते हैं कमाल,
बुरे कर्मों के बल बदली जमाने की चाल।
तुम खुद ही देख लो, पापी जग में भारी,
पाप कर्म मिटाते मिटाते, दुनिया है हारी,
नहीं पता किस मोड़ पर बुद्धि जन मारी,
ठन ठन गोपाल हो वो कहलाता हजारी।
तुम खुद ही देख लो, सोच समझ घटी,
अहित बुराई खातिर, जन की बुद्धि बढ़ी,
देख देख जन हालात, आती नहीं है रास,
कल्कि जी अवतार लो,करो दुष्ट का नास।
तुम खुद ही देख लो, बड़ाई भूखा संसार,
धन दौलत की खातिर करता है यह प्यार,
बेटा बेटी मात पिता का भूले ऋण उधार,
बूढ़े बड़ों का जग में जीना हुआ है बेकार।
तुम खुद ही देख लो, घटी शर्म और लाज,
बेशर्मों पर जग के लोग करते रहते हैं नाज,
कितने ही लोग जग के खाते रहते हैं ब्याज,
नंगापन सड़कों पर मिलता देख लेना आज।
तुम खुद ही देख लो,कितना बुरा वक्त आया,
ससुर बने घर में और पुत्रवधू से दिल लगाया,
दौलत के भूखों ने ही, खुशामद संसार बनाया,
शुभ कर्म करने वाला ही,मूर्ख सदा ही कहाया।
तुम खुद ही देख लो, कौन किसका है साथी,
चोरों के संग मिलते, चोर ही जमकर बाराती,
गरीब बेचारों को जग में, मिलती आधी पाधी,
जेब में फूटी कौड़ी नहीं, चाहिए उनको हाथी।
तुम खुद ही देख लो, बढ़ गये भूखे लाचारी,
झूठ बढ़ी है इस कद्र, सम्मुख सच भी हारी,
ये दुनिया के लोग भी, लगते हैं सदा दुधारी
लोगों की जुबान भी लगती है जैसे हो आरी।।
