दर्द भरी वह याद पुरानी।
दर्द भरी वह याद पुरानी।
आंख भिगो जाती है अक्सर दर्द भरी वो याद पुरानी।
वफा उम्र भर की हमने और बदले में पाई बेईमानी।
वह चिनार का पेड़ जहां पे हमने गीत वफा के गए थे।
तेरे दामन में सिर रख कर के कितने इश्क बहाए थे।
तेरे गेसुओं की छांव में गुजारी कितनी शाम सुहानी।
आंख भिगो जाती है अक्सर दर्द भरी वह याद पुरानी।
साथ नहीं तुम फिर भी अक्सर सपने तेरे ही आते हैं।
झरने नदियों के बैठ किनारे गीत तेरे सुनते जाते हैं।
यादों और सपनों के दम पर बीत रही मेरी जिंदगानी
आंख भिगो जाती है अक्सर दर्द भरी वह याद पुरानी।

