अकाल मृत्यु
अकाल मृत्यु
हे शिक्षिका ! आपके दिल में
अनगिनत सपने धड़कन बनके
जीया करते थे,
मगर आप दिल की बीमारी के आगे
लंबी लड़ाई लड़कर
अब स्वर्गवासी हुए...
बहुत कोशिशों के बावजूद भी
आपके "अपने"
आपकी बेशक़ीमती ज़िंदगी
"उस ऊपरवाले से
माँग न पाए...!"
और आपने
अकाल मृत्यु के आगे
आखिर घुटने टेक ही दिए...!
जमुना बरूआ महोदया, अब आगे
ये परखना है कि आपकी यादों में
महज़ शोक सभा इत्यादि पालन कर
आपको एक तस्वीर में
बांधकर रख देंगे ये ज़माने वाले
या फिर आपको
आपकी अथक शिक्षा सेवा
हेतु उचित सम्मान प्रदान कर
आपके कर्मों को
'अमरत्व" देंगे ये ज़माने वाले...!
एक संस्कृत भाषा की
परिश्रमी शिक्षिका को खोकर
आज शिक्षार्थियों के
आँखों के आगे
अंधेरा-सा छा गया...
हममें से जो लोग
कभी आपके सहकर्मी
हुआ करते थे,
"बस हम लोग ही"
जमुना जी की स्वास्थ्य-संबंधी
जद्दोजहद से
पूरी तरह वाकिफ थे...
हाँ, जमुना जी, हम लोग
आपकी हिम्मत और
सतत मनन-चिंतन को सलाम करते हैं....
निस्संदेह, आपकी शिक्षा सेवा को
शत्-शत् नमन करते हैं।
आप बहुत जल्द
इस दुनिया से
रुखसत हुए...
मृत्यु तो एक अखण्ड सत्य है,
जिसे कोई भी झुठला 'नहीं सकता'...
मगर फिर भी आपने
हमेशा मुस्कुराते हुए
अपने 'दिल के दर्द' को
अपने दिल में ही
समाए हुए
खामोशी से
हम सबको "अलविदा' कहकर
दूर, बहुत दूर,
उस ऊपरवाली दुनिया के
वासी बन गए...!!
कभी सोचता हूँ
ऊपरवाले भी
किसी-किसी के साथ
बहुत नाइंसाफी किया करते हैं...
आखिर एक
बेशक़ीमती ज़िन्दगी को
क्यों इस खूबसूरत दुनिया से
बेरहमी से छीन लेते हैं...??
जमुना बरुआ महोदया, आप को
हम सबका शत्-शत् नमन...
शत्-शत् नमन...
