सुना दो वेणु की मधुर तान कान्हा, मोर पंख माथे सजने को आतुर पुरज़ोर!! सुना दो वेणु की मधुर तान कान्हा, मोर पंख माथे सजने को आतुर पुरज़ोर!!
पल भर नहीं लगते अग्नि को प्रज्वलित होने में रुस्वाईयां के आंगन में, लगता है रो लूँ, ज़ी भर-भर ... पल भर नहीं लगते अग्नि को प्रज्वलित होने में रुस्वाईयां के आंगन में, लगता ह...