हरने को आतुर दुख, न चाह है ना राह, बस एक पनाह है। हरने को आतुर दुख, न चाह है ना राह, बस एक पनाह है।
छिपा लेते हैं गम अपना नमी आंखों में रह्ती है. छिपा लेते हैं गम अपना नमी आंखों में रह्ती है.
सुना दो वेणु की मधुर तान कान्हा, मोर पंख माथे सजने को आतुर पुरज़ोर!! सुना दो वेणु की मधुर तान कान्हा, मोर पंख माथे सजने को आतुर पुरज़ोर!!
निज कर्त्तव्यों को विस्मृत कर स्मृत रखते हैं केवल अधिकार। निज कर्त्तव्यों को विस्मृत कर स्मृत रखते हैं केवल अधिकार।
उफ! अब ये चाँद क्यों उदास है? शायद इसको मिलन की पिपास है उत्सुकता है उस की इसे इसलिए व्यग्र है और... उफ! अब ये चाँद क्यों उदास है? शायद इसको मिलन की पिपास है उत्सुकता है उस की इसे...