कृष्ण
कृष्ण
मन वीणा के तार पुकारे,
कहाँ खो गए हो कृष्ण सांवरे ,
लौट आओ युग युगांतर से तुम,
तृप्त हो जाए यह नयन बावरे!!
आ जाओ अब ओ नंद किशोर ,
देख तुम्हें कानन करेगा कलशोर,
सुना दो वेणु की मधुर तान कान्हा,
मोर पंख माथे सजने को आतुर पुरज़ोर!!
क्लांत है मानव जीवन समग्र,
छल कपट अधर्म से जन-जन है व्यग्र,
सार गीता का फिर से कोई सुना दो,
शांत हो जाए, धरा पर चली जो हलचल उग्र!!
