' जीवन का चक्रव्यूह '
' जीवन का चक्रव्यूह '
ना घबराना जीवन के चक्रव्यूह से,
ना अपने हथियार डाल देना तुम....
न बन सको गांडीवधारी अर्जुन जो,
चक्रव्यूह में अंत तक लड़ने वाले
वीर अभिमन्यु ही बन जाना तुम..!!
माना...नहीं है भेदना आसान चक्रव्यूह को...
प्रयास एक व्यूह से निकलकर
दूसरे व्यूह में जाने का करते रहना तुम,
जीवन का अनुभव है शिक्षक बड़ा,
सिखा देगा हर व्यूह से कैसे पार पाओगे तुम!!
जीवन रूपी चक्रव्यूह में आएंगे
कई सुख और दुख भरे पड़ाव भी,
पीड़ा, वेदना, व्यथा, घृणा, पराजय...
मिलेंगे कई योद्धा जो निराश करेंगे तुम्हें....
लड़ना तुम अपनी संपूर्ण चेतना
और विवेक से....निश्चित ही
इस जटिल चक्रव्यूह से,
विजय सुनिश्चित कर जाओगे तुम....!!