मोहन
मोहन
साँवली सलोनी छवि
अधर सोहे बाँसुरी
मोर पंख शीश सोहे
मृदु हँसी तिहारी।
कालिंदी बहत कारी
व्रजधाम सुख कारी
नंदलाल के सुहावे
तट यमुना प्यारी।
चोरी पर सीनाजोरी,
छेड़े करे बरजोरी,
मटकी फोरी मोहन
करे माखन चोरी।
नयन पट पर छायी,
मूरत तेरी कन्हाई
हृदय आनंदित करे
राधे के बनवारी।
बंसी बजावे बिहारी
पद्म लोचन मुरारी
शूक मयूर अरू धेनु
विस्मित जग भारी ।
सूर्य सी कांति तिहारी
चंद्र सी चाँदनी भारी
है नभ सदृश्य तन
ओ पीताम्बर धारी ।
गोपिन भी मन हारी
राधे हृदय की मारी
विनय करती मनु
तारो मुरली धारी।