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Manisha Patel

Others

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Manisha Patel

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अनुपम प्रकृति

अनुपम प्रकृति

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नव विहान का लेकर संदेशा भास्कर नभ पर शोभित है! 

प्रखर तेज से उनके, नील गगन रक्तिम आभा से लोहित है!! 


खग विहग निकले यात्रा पर,कलरव सर्वत्र उनका गुंजित है! 

किरण किरण रेशम सी पाकर,धरा का हृदय स्पंदित है!! 


विहसित तरु पल्लव, सुरभित पवन मंद मंद प्रवाहित है! 

मनोरम दृश्य देख सुरम्य भोर का, मन मयूर आह्लादित है!! 


अनुपम है प्रकृति, खेत खलिहान हरीतिमा से सुशोभित है! 

प्रातः काल का दिव्य सौंदर्य,उच्च शिखर पर आरोहित है!!


सुगंध मनोरम पुष्प लिए, वन उपवन को किए सुगंधित है! 

धन्य हे मार्तंड..!धन्य मांँ प्रकृति...! तुम पर ये मन मोहित है!! 


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