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Manisha Patel

Tragedy Inspirational

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Manisha Patel

Tragedy Inspirational

अंतिम कविता

अंतिम कविता

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अंतिम कविता अपनी ऐ मादरे वतन तेरे लिए हूँ मैं लिख रहा,

जीवन की अंतिम शाम में, हाल क्या है दिल का मैं लिख रहा।


स्वतंत्रता के महायज्ञ में प्राणों की आहुति हूँ अपनी दे रहा,

माँ भारती तेरे सम्मान के लिए, जीवन समर्पित मैं कर रहा।


आँचल में सुलाकर समा लेना ओ भारत माँ मुझे तू अपने,

तेरे अस्तित्व के लिए ही लड़ते हुए, अंतिम साँसे मैं ले रहा।


अपने प्रयत्नों से हर संभव कोशिश की तेरी आज़ादी की,

घेर लिया दुश्मनों ने, फिर भी आत्मसमर्पण ना मैं कर रहा।


क़ैद में हूँ फ़िर भी लिख रहा हूँ तेरे ही लिए नग़्मे ऐ मातृभूमि,

जोश अपने गीतों में आज़ादी के लिए, नौजवानों में मैं भर रहा।


कल सुबह चढ़ जाऊँगा सूली पर, मैं दीवाना तेरा भारत माता,

पहनकर बसंती चोला आज़ादी का फाँसी के फंदे को मैं चूम रहा।


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