पग जिसने रणभूमि में अंगद सा जड़ा था, आज उसका पुत्र वो यूं गोद में पड़ा था पग जिसने रणभूमि में अंगद सा जड़ा था, आज उसका पुत्र वो यूं गोद में पड़ा था
घिरा हूँ आज कुछ ऐसे चक्रव्यूह में फंसा अभिमन्यु हो जैसे। घिरा हूँ आज कुछ ऐसे चक्रव्यूह में फंसा अभिमन्यु हो जैसे।
अभिमन्यु मरा नहीं अभी भी वो जिन्दा है। अभिमन्यु मरा नहीं अभी भी वो जिन्दा है।
हे पार्थ कहां था तब तुम्हारा प्रताप, द्रौपदी कर रही थी जब करुण विलाप, हे पार्थ कहां था तब तुम्हारा प्रताप, द्रौपदी कर रही थी जब करुण विलाप,
वो द्वापरयुग था, वो द्वापरयुग था,
नवोदित कवियों के उत्साहवर्धन हेतु रचित रचना जो एक देश के सुनामधन्य वरिष्ठ कवि को मेरा प्रत्युत्तर भी... नवोदित कवियों के उत्साहवर्धन हेतु रचित रचना जो एक देश के सुनामधन्य वरिष्ठ कवि को...